भारत में टीबी के 27 प्रतिशत मरीज, क्या 2025 तक हो पाएंगे इस रोग से मुक्त?

भारत में टीबी के 27 प्रतिशत मरीज, क्या 2025 तक हो पाएंगे इस रोग से मुक्त?

अम्बुज यादव

हमें कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिनमें कई सामान्य होती हैं तो कई गंभीर और जानलेवा भी होती हैं। उन्हीं में एक है टीबी, जो काफी खतरनाक हैं। इससे बचने के लिए डॉक्टर हमें कई तरह की सावधानियां बरतने को कहते हैं। वहीं यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने इस बीमारी का जिक्र किया है। बजट पेश करने के दौरान सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार 2025 तक भारत को टीबी से मुक्त कर देगी। लेकिन यह देखना होगा कि वित्त मंत्री के इस दावे में सच्चाई कितनी है और इसमें कितना दम है। इसका पता तो 2025 में ही चलेगा। फिलहाल अभी के लिए भारत में इस बीमारी का प्रकोप बहुत ज्यादा है। इसका अनुमान हम इससे लगा सकते है कि दुनियाभर में टीबी के मरीजों में 27 प्रतिशत लोग भारत के हैं। हालांकि एक खबर काफी संतोषजनक है, वह ये है कि पिछले कुछ सालों में देश में टीबी से मरने वालों की संख्या में कमी आई है।

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वैसे तो टीबी काफी खतरनाक है लेकिन अधिकतर लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता है, जिसकी वजह से लोगों की जान भी चली जाती है। तो आइए जानते हैं कि आखिर टीबी क्या होता है और उसके क्या-क्या लक्षण है और साथ ही जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर इससे कैसे बचें-

टीबी:

टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस एक बैक्टीरिया जनित रोग है। बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। यह आम धारणा है कि टीबी सिर्फ फेफड़े में ही होती है। लेकिन फेफड़ों के अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा और हृदय जैसे अहम अंगों में भी टीबी हो सकती है। कई सरकारी अस्पतालों में इसकी जांच और दवाई निशुल्‍क है। छाती का एक्स रे, बलगम की जांच, स्किन टेस्ट से इसका पता चलता है।

लक्षण:

टीबी का सबसे साफ लक्षणों में खांसी होना है। अगर किसी को तीन हफ्ते या उससे ज्‍यादा समय तक खांसी रहती है तो उसे टीबी की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, खांसी के साथ बलगम/कफ आना या थूक में कभी-कभी खून आना भी इस बीमारी का लक्षण है। भूख कम लगना और वजन घटना भी टीबी का कारण हो सकता है। टीबी से पीड़ित लोगों को रोजाना शाम को और रात में बुखार रहता है, और सांस लेते हुए सीने में दर्द भी होता है।

बचाव:

टीबी से बचने के लिए बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) का टीका लगवाना चाहिए। मरीजों को खांसते और छींकते वक्‍त मास्क लगाना चाहिए। एक बार इलाज शुरू हो जाने पर इसे बीच में कभी नहीं छोड़ना चाहिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि सूर्य की रोशनी टीबी से लड़ने में कारगर है।

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